पुणे के समीप पिरंगुट स्थानपर स्थित है ‘झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई लड़कियों की सैनिकी स्कूल’ | वहाँ इस ठंडी के सुहाने मौसम में उमड़ पडी थी भीड़ हिंदुत्व के पावन सिंधु में विहरनेवालों की | निमित्त था ‘विश्व संघ शिविर’ |
भारत में हिंदुत्व को लेकर चलनेवाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक अनुशासनबद्ध, बलशाली एवं सुसंस्कृत लोगों का संगठन है | हिंदू समाज को एक सूत्र में पिरोनेवाला विचार है हिंदुत्व | और संघ ने अपनाई है अनूठी कार्यपद्धती - शाखा ! घंटेभर की शाखा से निर्माण हुए स्वयंसेवक अन्यान्य भागों में जाकर शाखाएँ प्रारंभ करने लगे | ‘एक दीप से जला दूसरा’ | देशभर में फ़ैली हिंदुत्व की लहर |
भारत के बाहर रहनेवाला हिंदू भी पूरी तरह से असंगठित था | वहाँ के हिंदुओं को संगठित करने का कार्य प्रारंभ हुआ सन १९४७ में | दो स्वयंसेवक जहाज से केनिया जा रहे थे | डेक पर परिचय हुआ और दोनों को ‘स्वयंसेवक’ होने का पता चल गया | वहीं फिर सूर्यसाक्षी से हुई संघ की प्रार्थना | यही भारत के बाहर की ‘पहली शाखा’! बाद में केनिया, मोरिशस, सुरिनाम, जर्मनी, अमरीका, इंग्लैंड, रशिया ऐसे देशों में नियमित रूप से शाखाएँ चलने लगी |
और धीरे-धीरे समय के साथ यह कार्य भी बढ़ा | परमपूजनीय डॉक्टर जी ने जो स्वप्न संजोया था, उस दिशा में कई कदम साथ में आगे बढ़ने लगे | भारत में भी और भारत के बाहर भी | भारत के बाहर हिंदू संगठित रूप से कार्यक्रम करने लगे, विश्वबंधुत्व के आवाज को, आवाहन को बुलंद करने लगे |
कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण हेतू चलते हैं संघ शिक्षा वर्ग | इन वर्गों में विभिन्न भागों से स्वयंसेवक एकत्रित होते हैं, रहते हैं और अपनत्व के भाव की अनुभूती करते हैं | (http://vikramwalawalkar.blogspot.com/2010/07/blog-post_11.html) | इसी कार्यपद्धती के अनुरूप भारत के बाहर जहां संघ का काम चलता है वहाँ भी वर्ग होते है | परन्तु यह कार्यकर्त्ता एकत्रित आते हैं ‘विश्व संघ शिविर’ हेतू | पाँच वर्षों में एक बार भारत में होता है यह शिविर | २००० साल में केशवसृष्टी, मुंबई में तथा २००५ में गांधीनगर में संपन्न हुआ और इसी शृंखला में पुणे में हुआ २०१० का शिविर |
३५ देशोंसे ५१७ स्वयंसेवक-सेविकाएँ उपस्थित थी | इन में थायलैंड, श्रीलंका, मलेशिया, मोरिशस, अमरीका, जर्मनी, सुरीनाम, गयाना, केनिया, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, फ्रान्स और ऐसे अन्य देशों से कार्यकर्त्ता उपस्थित थे | ५ दिन के शिविर का जाहीर समारोह बालेवाडी स्टेडियम पर संपन्न हुआ |
मंचपर उपस्थित थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परमपूजनीय सरसंघचालक जी मोहनजी भागवत, प्रमुख अतिथी विख्यात उद्योजक श्री. अभय फिरोदिया, राष्ट्र सेविका समिती की प्रमुख संचालिका माननीया प्रमिलाताई मेढे, और अन्य महानुभाव | स्टेडियम पर उमड़ पडी थी भीड़ राष्ट्रभक्त नागरिकों की | प्रस्तुत हुए कार्यक्रमों में पुणे महानगर और पश्चिम महाराष्ट्र प्रान्त के घोषवादकों का तथा रा. स्व. सेविका समिती के सेविकाओं द्वारा घोष के आकर्षक प्रात्यक्षिक हुए | संघशाखाओं के बाल स्वयंसेवकों ने शिवराज्याभिषेक का समारोह आखों के सामने खड़ा किया, रोमांचित कर उठे तुतारी के उच्चनिनादित स्वर |
पिम्परी से आये हुए बाल धुन में बजा रहे थे योगचाप (लेझीम) | घाटी लेझीम का अलग-अलग तालों पर एकसाथ बजना और लयबद्धता का प्रदर्शन यही साबित कर रहा था की उसी पुणे महानगरी में इन बालों को तैयार करनेवाले सैंकडो ‘दादोजी कोंडदेव’ हैं और उन में से कई उस स्टेडियम की भीड़ में उपस्थित थे | एक पुतला हटने से कुछ भी नहीं होता | क्योंकी राष्ट्रनिर्माण का कार्य पुतलों के नहीं पुरुषार्थ के आधार पर होता है |
विश्व संघ शिविर के शिक्षार्थीयों ने दंड के और व्यायामयोग के प्रात्यक्षिक प्रस्तुत किए |
प्रमुख अतिथी द्वारा दिया हुआ भाषण महत्वपूर्ण और सुसंबद्ध था | उन्हों ने संघ के स्वयंसेवकों की सराहना करते हुए ऐसे कार्य की आवश्यकता अधोरेखित की | जी.एन.पी बढ़ रहा है वह सरकार के कारण नहीं, अपितु आम जनता के कारण | और संभवतः सरकार उसपर ध्यान नहीं दे रहा है इसीलिये प्रगती हो रही है | आज चारों ओर जो घोटाले ही घोटाले दिखाई दे रहे है उनपर टिप्पणी करते हुए उन्होंने शासन कों आड़े हाथ लिया और मुझ जैसे कई उद्योजक साफ-सुथरा एवं भ्रष्टाचारमुक्त वातावरण चाहते हैं ऐसा कहा | केवल आर्थिक प्रगती ऐसे मूल्यहीन वातावरण में देश कों उन्नत नहीं बना सकती | फिर हुआ भावपूर्ण एकल गीत | ‘बोधयित्वा संघभावं, नाशयित्वा हीनभावं..नवशताब्दे कलियुगाब्दे, हिंदुधर्मो विजयताम्’ |
शीतल मलयसमीरों के साथ सायंकाल के प्रकाश में गीत की उत्कट स्वरलहरें वातावरण कों और भावविभोर बनाती चली | परमपूजनीय सरसंघचालक जी का उद्बोधन सुनने के लिए सभी आतुर थे |
‘हिंदू दहशतवाद’ यह एक भ्रामक संकल्पना है, कारण ये दो शब्द परस्परविरोधी है | पहले ‘हिंदू दहशतवाद’ शब्दप्रयोग हुआ, फिर जबरदस्त प्रतिक्रिया पाने पर उसे ‘भगवा आतंकवाद’ कहा गया, और अभी वह बदल कर ‘बहुसंख्यक आतंकवाद’ यह शब्दप्रयोग प्रचलित करने का षड्यंत्र चल रहा है | पाकिस्तान ने भी कभी नहीं कहा यहाँ के जनता के बारे में, वह काँग्रेस कह रही है | ‘हिंदू’ को कभी अमरीका, रशिया, युरप में दहशतवादी नहीं कहा गया, परन्तु काँग्रेस ने करार दिया | इससे भारत की आतंकवाद विरोधी लढाई में बाधा आ सकती है, वह कमजोर हो सकती है | राज्यकर्ताओं पर जब कुर्सी बचाने का संकट आता है, तो वे संघ कों निशाना बना देते है, यह तो इतिहास है | संघ स्वयंसेवकों जैसे सुशील, सच्छील, सुसंस्कृत लोगोंके सिवा और किसको बली का बकरा बनाया जा सकता है? परन्तु हिंदुत्व के विरोध में आनेवालों का जो होता है वही इनका भी होगा ऐसा उन्होंने इतिहास का स्मरण कराते हुए कहा |
विश्व में विकास हुआ है | सुख मिलता है, परन्तु समाधान नहीं | हिंदू जीवनदर्शन और हिन्दुस्थान की ओर विश्व निहारता है तो समाधान और शांति का मार्ग ढूंढने के लिए | हिंदुत्व ही विश्वबंधुत्व और शांति के पथ पर मनुष्यता को अग्रेसर बना सकता है | विश्व एक हो रहा है, कारण वह एक ‘ग्लोबल मार्केट’ बना है, ऐसा पश्चिमी चिंतन है, परन्तु हिंदुत्व “अयं निजः परो वेति, गणना लघुचेतसाम्, उदारचरितानां तु, वसुधैव कुटुम्बकम्” का उद्घोष युगों से करता आ रहा है | विश्व में ‘सक्सेस स्टोरी’ में लिखा जाता है, “he came, he saw and he conquered”, उसके आगे क्या? आगे क्या होना है, “he came, he saw and he conquered and then one day, he died!” परन्तु हिंदू चिंतन ही बताता है की विश्व और संसाधन केवल उपभोग की वस्तू नहीं, अपितु कुछ देने की, और त्याग की अपेक्षा करता है | स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा था की हिंदू को भगवान शंकर जी जैसे स्वयं विष प्रशन कर औरों को सुरक्षित रखने की लोककल्याणकारी भूमिका निभानी है | संत ज्ञानेश्वर ने अपने पसायदान में जो विश्वमंगल की प्रार्थना की है उसी को लेकर संघ चलता है | और इन सभी कारणों के लिए हिंदू का सुसंगठित होना आवश्यक है | संघ का कार्य ईश्वरी कार्य है, यह विश्वास सभी के मन में है, और उसी दृढता के साथ हम आगे बढते हैं |